इन दिनों : सैंया भए कोतवाल

सुबह सूरज ठीक से उगा नहीं। सूरज पर कटे-कटे बादल छाये रहे। ठंड के कारण खिड़कियां बंद रहती हैं, इसलिए चिड़िया के स्वर सुनाई नहीं पड़े। खिड़कियों में लगे शीशे के बाहर सबकुछ शांत लगता है। आम, नारियल और महुगनी के पेड़ साधु की तरह लग रहे हैं। सुबह जगा था तो पटाखों के शोर … Continue reading इन दिनों : सैंया भए कोतवाल