बताना मना है

सरकारी आदेश के बाद कॉलेज में शुरू हुई बैठकों, बढ़ते नामांकन की होड़, और एक अवैतनिक प्राध्यापक की संघर्षमय ज़िंदगी—यह कहानी शिक्षा, राजनीति और जीविका की कड़वी सच्चाइयों को बड़े सजीव ढंग से उजागर करती है।