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इन दिनों : सामाजिक न्याय और जातिवाद

“देश‌ को तीसरी राह की जरूरत है, जिसके केंद्र में राष्ट्र हो, सभी नागरिकों के लिए उसमें स्पेस हो, जाति …

सच्चिदानंद सिन्हा के रूप में एक समाजवादी धारा का अंत

“सच्चिदा जी ने समाजवाद का जो संस्करण तैयार किया है, उसमें विकेंद्रित लोकतंत्र, परिवेश के अनुकूल प्रौद्योगिकी, गैर-उपभोक्तावादी जीवन-शैली, पर्यावरणीय …
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इन दिनों : दिल्ली प्रदूषण का हल है पब्लिक पालिका

“देश का वास्तविक विकास ट्रिक्ल डाउन थ्योरी से नहीं, बल्कि ‘रेनफाल थ्योरी’ के आधार पर होना चाहिए यानी रिस-रिस कर …

इन दिनों : आदिवासी समाज में हलचल के मायने

“आजादी के बाद जनता कमजोर हुई है और तंत्र मजबूत हुआ है। लोकतंत्र के लिए यह बड़ा खतरा है। तंत्र …

इन दिनों : मुख्यमंत्री का कारुणिक अवसान बहुत कुछ कहता है

“आज भी नीतीश कुमार के अंदर इच्छाएं जोर मारती हैं, लेकिन शरीर उस काबिल नहीं रहा। चेतना भी दूर होती …

इन दिनों : धार्मिकता और कट्टरता

“सच्चाई यह है कि दाढ़ी बढ़ाने या भगवा पहन कर टीका ललाट पर लगाने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। …

लैनी की आत्मकथा 

कहानी में कुछ ऐसा नहीं है, जो आकर्षित कर सके – न कथ्य, न शिल्प। लेकिन यह कुछ ऐसा है, …
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इन दिनों : राजनीति में लैटरल इंट्री

नेता पति, पत्नी, बेटा, बेटी, समधी, समधन – सभी देश‌ की सेवा के लिए न्यौछावर हो गये। देश इनका कृतज्ञ …

इन दिनों : यादें और दुःस्वप्न

“सीधा-सीधा दस हजारी योजना वोट खरीद योजना है।‌ लोकतंत्र का आधार चुनाव है और चुनाव को धीरे-धीरे रसातल में लेकर …
AI से जेनरेट किया गया प्रतीकात्मक चित्र

इन दिनों : सेठाश्रयी संस्कृति के गुनाहगार

लोग शांत इसलिए हैं, क्योंकि वे सरकार और पूँजीपतियों की बेईमानी नहीं समझ रहे हैं। यह देश के लिए बड़ा …

बिहार विधानसभा चुनाव, 2025 : अन्तर्विरोधों की बलि चढ़ा महागठबन्धन!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की पराजय का विश्लेषण कई दृष्टियों से किया गया है। इस आलेख में उन …

इन दिनों : कुछ सवाल खुद से, कुछ सवाल आपसे

बिहार के चुनाव परिणाम ने हज़ार सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे मौजूँ सवाल है कि चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए …