Tag मार्क्सवाद

हिंदी के स्वातंत्र्योत्तर उपन्यासों में मार्क्सवाद

मार्क्सवादी उपन्यासों में वस्तु-तत्व की प्रमुखता के बावजूद रूप-तत्व की भी सापेक्षिक सक्रियता स्वीकृत हुई है। इन उपन्यासकारों ने कला-मूल्यों एवं जीवन-मूल्यों को परस्पर असंपृक्त न मानकर एक वृहत प्रक्रिया का ही अंग माना है। इन उपन्यासों का वर्ण्य यथार्थ है।