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जारी है स्त्री विमर्श की यात्रा

परिवार, शिक्षा प्रणाली, राज्य-कानून, धर्म, कलाएँ, मिडिया आदि ये सारी सामाजिक संस्थाएँ हमारे समाज में औरत बनाने का काम करती हैं- मादा को स्त्री बनाती हैं। सर्वजनीन है कि स्त्री पैदा नहीं होती, बनायी जाती है, मार-मार के बनाया जाता है उसको स्त्री। यही स्त्री की स्थिति तय करती है और नारी विमर्श में इसे अनदेखा कर दिया जाता है।