जन पत्रकारिता, समाजप्रकृति के संकेत की अनदेखी: विकास या विनाश की ओर?प्राकृतिक आपदाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। ये आपदाएँ प्रकृति-प्रदत्त नहीं, बल्कि मानवकृत हैं। इनसे निपटने के दीर्घकालिक उपायों के कार्यान्वयन में अब और देर नहीं की जा सकती है।रुपेश रॉयAugust 31, 20251 Comment