निजी विद्यालयों की लूट पर लगाम लगाने का माँगपत्र

इतना ही नहीं। ये विद्यालय शिक्षा-बिक्री केन्द्र के साथ ही वस्तु-विक्रय के रूप में भी धंधा करते हैं। इन विद्यालयों ने पोशाक, टाई, बेल्ट, डायरी, कॉपी, कलम के साथ ही निजी प्रकाशकों की हर साल बदली जाने वाली किताबों को अपने यहाँ से या निर्दिष्ट दूकान से ही खरीदने के लिए विवश करके शिक्षा के मंदिर को परचून की दूकान से भी बदतर बना दिया है।