Dr. Anil Kumar Roy

Dr. Anil Kumar Roy

कार्यकर्ता और लेखक
डॉ. अनिल कुमार रॉय सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए अथक संघर्षरत हैं। उनके लेखन में हाशिए पर पड़े लोगों के संघर्ष और एक न्यायसंगत समाज की आकांक्षा की गहरी प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।

भारतीय संदर्भ में नई तालीम का प्राणालिक औचित्य

यदि भारत को शिक्षा का सिरमौर होना है, बेरोजगारी की समस्या को दूर करना है, उत्पादन में बढ़ोत्तरी करनी है, गाँवों का विकास करना है और समाज में नैतिकता का वर्चस्व स्थापित करना है तो उसे ‘नई तालीम’ की अवधारणा को स्वीकार करना ही पड़ेगा।

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद क्या है?

मार्क्सवाद की पूरी इमारत ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ की नींव पर खड़ी है। इसलिए मार्क्सवाद को समझने के लिए ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ को समझ लेना आवश्यक है, अन्यथा मार्क्सवाद की व्याख्याएँ अबूझ रह जायेंगी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरल तरीके से इस गूढ़ दर्शन को बताने की कोशिश की गई है।

बालश्रम की राजनीतिक आर्थिकी और बिहार

African Boy Working on Desert
निजी मुनाफे पर आधारित पूँजीवाद और राजनीतिक सत्ता का अपवित्र गठबंधन बाल श्रम को कायम रखता है। जब तक पूँजीवादी शक्तियों के मुक़ाबले सामाजिक शक्तियाँ अपनी अधिक मजबूती नहीं दिखाती है, तब तक तमाम क़ानूनों के बावजूद बालश्रम का धब्बा कायम रहेगा।

मार्क्सवादी इतिहास दृष्टि क्या है?

मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि ने इतिहास-चिंतन को एक नया और पूर्व की दृष्टि से सर्वथा भिन्न आयाम प्रदान किया। द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त के आधार पर विकसित इस इतिहास-दृष्टि ने पहले-पहल वैश्विक इतिहास की गति की वैज्ञानिक समझ प्रदान की। ऐतिहासिक भौतिकवाद के नाम से अभिहित इस सिद्धान्त को जाने बिना इतिहास के पदानुक्रमों को नहीं समझा जा सकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस जटिल दर्शन को सरल भाषा में प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है।

हिंदी के स्वातंत्र्योत्तर उपन्यासों में मार्क्सवाद

मार्क्सवादी उपन्यासों में वस्तु-तत्व की प्रमुखता के बावजूद रूप-तत्व की भी सापेक्षिक सक्रियता स्वीकृत हुई है। इन उपन्यासकारों ने कला-मूल्यों एवं जीवन-मूल्यों को परस्पर असंपृक्त न मानकर एक वृहत प्रक्रिया का ही अंग माना है। इन उपन्यासों का वर्ण्य यथार्थ है।

कालिदास के ग्रंथों में प्रकृति और नारी की अन्योन्याश्रयता

कवि-कुल शिरोमणि ‘कनिष्ठिकाधिष्ठित’ कालिदास संस्कृत वाङ्ग्मय के ही नहीं, भारतीय मनीषा के भी सर्वश्रेष्ठ निदर्शन हैं। वर्षा-काल में अनायास फूट पड़े निर्झरों की भाँति हृदय के अंतस्तल से उमड़कर बहते हुए उनके काव्य ने विश्व भर के काव्य रसिकों को संतृप्त किया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : परिचय एवं समीक्षा (स्कूल शिक्षा)

यह कैबिनेट द्वारा स्वीकृत है, संसद द्वारा नहीं। अर्थात एक पार्टी की शिक्षा नीति है।…यह शिक्षा नीति अनौपचारिकता, सांप्रदायिकता, केन्द्रीयता और निजीकरण की बढ़ोत्तरी के चार पायों पर खड़ी है। इन पायों को ही मजबूत करने का निहितार्थ इस शिक्षा नीति में छिपा हुआ है।

भारतीय किसान विद्रोह और ग्वाटेमाला की भूख

People with Flags at City Demonstration
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान केवल इसलिए नहीं आंदोलनरत हैं कि उनकी अस्मिता ख़तरे में है। अस्मिता तो ख़तरे में है ही। बल्कि वे इसलिए भी लड़ रहे हैं ताकि इस देश को भूख और तबाही से बचाया जा सके। इस तरह यह लड़ाई पूरे देश के लिए लड़ी जाने वाली लड़ाई है।

कोरोना 1 : जनता केवल एक वोटर है

a toy figure is posed in front of a red background
कोरोना आज विश्व की एकमात्र और सबसे बड़ी समस्या है। दुनिया में आज न तो सेंसेक्स का उतार-चढ़ाव सनसनी पैदा करता है, न जीडीपी बढ़ाने की होड़ है, न घटते जलस्तर की चिंता है और न ही स्कूल बंद बच्चों की बदहाली की फ़िक्र है। मानव-सभ्यता के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है कि एक बीमारी की चपेट में एक ही साथ पूरी दुनिया आ गई हो। इसलिए दुनिया के तमाम देशों में जिस एक बात के भूत, वर्तमान और भविष्य की सर्वाधिक चर्चा और चिंता की जा रही है, वह कोरोना है।