उच्च शिक्षा में महिलाओं का योगदान: एक समग्र विश्लेषण

जहाँ राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तरों पर नीतियों में सुधार हो रहे हैं, वहीं व्यक्तिगत स्तर पर महिलाओं को अनेक चुनौतियों …
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सांकेतिक चित्र

क्यों बन रही है स्कूल पर गुप्त छापेमारी की योजना?

धूल उड़ाती सन्न-सन्न भागती गाड़ियों का क़ाफ़िला। साहब के इशारे पर गाड़ी घुमाता ड्राइवर। टास्क से अनजान एक-दूसरे का मुँह …
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AI से जेनरेट किया गया प्रतीकात्मक चित्र

पूँजीवाद की उच्चतर अवस्था है क्रॉनी कैपिटलिज्म

इस आलेख में क्रॉनी कैपिटलिज्म के वर्तमान चरित्र एवं उत्तर अवस्था का विश्लेषण किया गया है। यदि अंत तक पढ़कर …
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नो डिटेंशन पालिसी की समाप्ति : अभिजात्य वर्चस्व के सम्मुख वंचितों की पराजय

इस आलेख में ‘नो डिटेंशन पालिसी’ की समाप्ति की अधिसूचना पर सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि से विचार किया गया है। अंत तक …
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फिर नक्सली हमला : शहादत के बीच संवाद की ज़रूरत

छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर नक्सली हिंसा से लहूलुहान हो गई है। बीजापुर जिले में नक्सलियों ने सोमवार को …
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बीपीएससी पेपर लीक : भ्रष्ट एवं नाकाबिल प्रणाली की प्रताड़ना भुगतते छात्र

बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पेपर लीक मामले के संदर्भ में डॉ० नीरज कुमार का यह आलेख आयोग …
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संविधान पर चर्चा या कांग्रेस पर वार?

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में संविधान के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में संविधान पर विशेष चर्चा आयोजित की गई थी। …
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इतिहास के फैसले: मंदिर, मस्जिद और न्यायालय

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की यह दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी कि 1991 का कानून 1947 से पहले के स्थानों के धार्मिक …
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बुझता हुआ चिराग़ है संविधान की प्रस्तावना

जिस उदात्त सोच के साथ इस देश की संवैधानिक बुनियाद रखी गई थी, समय बीतने के साथ ही लगातार वह …
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A man in a black suit and glasses posing for a picture

सामाजिक-मानवीय आधार पर शिक्षा के पुनर्गठन की ज़रूरत

सत्ता और पूँजीवाद के गठजोड़ ने शिक्षा को अपने हितों की पूर्ति का साधन बना लिया है। सामाजिक और मानवीय …
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person sitting on stack of books while reading

प्रौद्योगिकी के प्रभाव में ज्ञान-सृजन को अमानवीय नहीं बनाना चाहिए

मानवीय संपर्क, जिसके तहत विद्यार्थी कक्षा में दिलचस्प प्रश्न पूछ सकते थे, शिक्षकों को चुनौती दे सकते थे, आत्मनिरीक्षण कर सकते थे या …
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तीन नये आपराधिक दंड क़ानून और नागरिक स्वतंत्रता

तीन नये आपराधिक दंड क़ानूनों पर यह ‘लोक स्वातंत्र्य संगठन’ (पीयूसीएल) का दृष्टि-पत्र है, जो दिनांक 01 सितंबर, 2024 को …
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