
निश्चय ही यह बजट उन एक प्रतिशत लोगों के लिए है, जिनके हिस्से में 73 प्रतिशत विकास जाता है. बाकी 99 प्रतिशत लोगों के लिए भी ढूँढने पर कुछ मिल ही जाएगा.
ऐसा ही है हमारा आम बजट, 2018. यह ऐसा बजट है, जिसकी चिंता के केंद्र में आम आदमी नहीं है, कॉर्पोरेट और कंपनियां हैं. पूंजीपति वर्ग अपने मुनाफे की चिंता कर रहा है, इसलिए सरकार भी उनकी चिंता कर रही है. शायद आम लोगों के लिए अभी चिंता किये जाने की जरूरत भी नहीं है. आम लोग अभी हिन्दु-मुसल्माअन, मंदिर-मस्जिद, तीन तलाक, पाकिस्तान, चीन, तिरंगा, राष्ट्रवाद आदि की चिंता में लगे हैं. .......... जब वे भी अपनी चिंता करने लगेंगे तो सरकार को भी उनकी चिंता होगी. धन्यवाद!