सूरज पर भी ठंड का असर दिखने लगा है। मैं हर रोज हवाई अड्डा घूमने जाता हूँ। चुनाव के दौरान इसे बंद कर दिया गया था। अब खुल गया है। ठंड के कारण सूरज की मिरमिरायाहट दिखाई पड़ती है और मैदान में भाप की सफेदी धरती से उठती रहती है। धरती ओस से भीगी हुई और अधसूखी दूबों पर ओस की बूंदें ठहरी हुई। कहीं-कहीं जोड़े में खंजन दिखाई देता है। चंचल खंजन। चमकती आंखें और रफ्तार भरती पांखें। सैकड़ों लड़के-लड़कियां। पुलिस बनने के लिए प्रैक्टिस करते हुए। दौड़ते-भागते।
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परसों भागलपुर बाजार से टोटो से आ रहा था। सामने की सीट पर एक लड़की और एक लड़का। लड़का की ललाट पर चंदन। लड़की आधुनिक ड्रेस में। जहां-जहां मंदिर या देव स्थान के चिह्न दिखाई देते, पहले लड़की सिर झुकाती। फिर लड़के को याद आता और वह भी सिर झुकाता। दोनों धार्मिक जैसे नहीं थे, लेकिन उन्हें लगता था कि मंदिर उनके भविष्य को संवारेगा या संवार न सका तो रक्षा जरूर करेगा। लोकतंत्र के लिए यह शुभ नहीं है कि युवा अपना विश्वास खोता जाय। यों भागलपुर का हवाई अड्डा कहने को हवाई अड्डा है। यहां से कभी विमान उड़े होंगे, अब इसमें या तो नेताओं के भाषण के लिए पंडाल लगाए जाते हैं या कहीं से भूला भटका हेलिकॉप्टर उतरता था।
एक जमाना था बीस हजार करोड़ के घोटाले की मालकिन मनोरमा देवी का, जब उसके लिए निजी विमान उतरते थे। उसे छींक भी आती थी तो उसके लिए विमान मंगा लिए जाते थे। इस शुभ कर्म में कई जाने-माने नेता सक्रिय रहते थे। जिनको इनके यहां से चंदा मिलता था और ये नेता घोटालेबाज मनोरमा देवी को प्रशासनिक मदद पहुंचाते थे। भागलपुर के विकास के लिए जो भी सरकारी पैसा आता था, वह मनोरमा देवी की संस्था सृजन में यों ही नहीं पहुंचता था। बिना सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और नेताओं की मदद से यह काम संभव ही नहीं था। चारा घोटाला महज सात सौ हजार करोड़ का है, जबकि सृजन घोटाला बीस हजार करोड़ का। मनोरमा देवी के पैसे से कई मालामाल हुए। शानदार बात यह है कि मनोरमा देवी से जिन नेताओं के अंतरंग संबंध थे, उनकी तस्वीरें मौजूद हैं, लेकिन उनसे कभी सीबीआई ने पूछताछ नहीं की। जिनके घर भूंजी भांग नहीं था, आज करोड़ों करोड़ में खेल रहे हैं और नैतिकता के पुरोधा भी बने हैं। देश में उनकी पहचान है और वे उच्च पदस्थ लोग हैं। आप ऊंचे हो जाइए और किसी भी कुकर्म में शामिल होइए। आपका बाल बांका भी नहीं होगा। लोकतंत्र कुलीनतंत्र में बदल गया है।
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ऐसे चुनाव के दौरान एक नेता ने यों ही नहीं कहा था कि झांट उखाड़ लेगा एफ आई आर। आम जनता के लिए एफ आई आर ‘डेथ वारंट’ की तरह है। वह एफ आई आर सुनकर कांपने लगती है कि उसकी इज्जत का डेथ हो जायेगा। एफ आई आर के बाद उसकी आंखों की नींद खत्म हो जाती है और वह परेशान रहती है।
सृजन घोटाले की दसियों वर्ष से जांच हो रही है और उम्मीद है कि जब तक एनडीए की सरकार रहेगी, ऐसे ही जांच होती रहेगी। सीबीआई ने कुछ को पकड़ा है, लेकिन ये सब टंगरा-पोठिया है। बुआरी, कतला, व्हेल को तो छूना असंभव है, जब तक ऊपर का इशारा न हो जाए।
देश में शतरंज बिछी हुई है। मंत्री और राजा मजे में हैं। प्यादा परेशान है। प्यादा अपने सिर ताने, तब न खेल में मजा आये। राजा ने सोचा लिया है कि प्यादा की कस कर सवारी करो। उसे इतना दौड़ाओ कि उसे पता ही न चले कि उसके साथ क्या हो रहा है?

प्रोफेसर, पूर्व विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग
पूर्व डीएसडब्ल्यू,ति मां भागलपुर विश्वविद्यालय,भागलपुर






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