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इन दिनों : पिघलते रुपये का राजनैतिक हल गीता – कुरान पाठ

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिरता जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं। उनके मंत्रीगण अजब-ग़ज़ब जवाब दे रहे हैं। पहले जो लोग हर छोटी-बड़ी बात पर हाहाकार मचाते थे, वे भी आज चुप हैं। मीडिया मौन है। शोर है तो केवल मंदिर और मस्जिद बनने का। क्या कारण है इसका? पढ़िए इस आलेख में।

विदेशी पूंजी-पलायन और रुपये का अवमूल्यन (2025): भारतीय अर्थव्यवस्था के अधूरे संक्रमण का राजनीतिक–अर्थशास्त्रीय पाठ

"रुपये का गिरना कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं; यह भारतीय विकास मॉडल के भीतर छिपे उस अंतर्विरोध का परिणाम है, जिसे तीन दशक से अनदेखा किया जा रहा है।" - इसी आलेख से