भारतीय संदर्भ में नई तालीम का प्राणालिक औचित्य

यदि भारत को शिक्षा का सिरमौर होना है, बेरोजगारी की समस्या को दूर करना है, उत्पादन में बढ़ोत्तरी करनी है, गाँवों का विकास करना है और समाज में नैतिकता का वर्चस्व स्थापित करना है तो उसे ‘नई तालीम’ की अवधारणा को स्वीकार करना ही पड़ेगा।
  1. Constructive Programme: Its meaning and Place, M. K. Gandhi.
  2. Towards New Education, M. K. Gandhi, Edited by Bharatan Kumarappa.
  3. Baapu Katha, Haribhau Upadhyay.
  4. The Wardha Scheme of Education: An Exposition and Examination, Varkey, C.J.
  5. Bharat ka Itihas, Prof. Romila Thapar
  6. NEP 2020

(यह आलेख ‘ऐलान’ में अंगेजी में पूर्व प्रकाशित “Eminence of Nai Talim in Context of National Temperament” का हिन्दी अनुवाद है।)

Dr. Anil Kumar Roy
Dr. Anil Kumar Roy

कार्यकर्ता और लेखक
डॉ. अनिल कुमार रॉय सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए अथक संघर्षरत हैं। उनके लेखन में हाशिए पर पड़े लोगों के संघर्ष और एक न्यायसंगत समाज की आकांक्षा की गहरी प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।

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2 Comments

  1. छात्रों के लिए बेहद उपयोगी व सारगर्भित आलेख I

  2. यह लेख भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत करता है। गाँधीजी की ‘नई तालीम’ और उसमें व्यावसायिक कौशल के साथ बौद्धिक विकास के समावेश पर दिया गया जोर प्रेरणादायक है। यह शिक्षा के माध्यम से व्यक्तिगत और राष्ट्रीय प्रगति पर एक विचारोत्तेजक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

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