बिहार चुनाव में नेताओं की आवाज बेसुरी हो गई है। विपक्ष के नेता की पढ़ाई-लिखाई पर बहुत सवाल हुए। मगर जब वे पढ़ाई-लिखाई, दवाई की बात कर रहे हैं तो जिन्हें डिग्री न दिखाने के लिए कोर्ट में लड़ना पड़ा, वे कट्टा, बम, बारुद , सिक्सर की बात कर रहे हैं। फलां आयेगा तो अपहरण मंत्रालय खोलेगा, फलां आयेगा तो कलेजे में गोली मारेगा। आम जनता को डरा-धमका कर वोट लेने की आदत ग्यारह वर्ष बाद भी नहीं गई।
बिहार में घुसपैठिए थोड़े घट गये हैं। हमारे विष्णु के अवतार भी इस पर चुप लगा गये हैं। बिहार में आते ही उन्हें सिक्सर याद आता है, जबकि बीस साल से सत्ता में हैं और खूब सिक्सर चल रहा है। आज बिहार में अपराध एक बड़ी समस्या है। जिनका अवतार होता है, वे बहुत कुछ जानते हैं। उन्हें आगे-पीछे की खबरें तो रहती ही हैं। नीतीश कुमार बीमार हैं और देख कर भाषण पढ़ते हैं, तब भी महिलाएं उनको वोट कर रही हैं। पंचायत में आधी सीट महिलाओं को और खाते में दस हजार रुपए।
बिहार चुनाव देख कर आप यह जरूर कह सकते हैं कि चुनाव पूरी तरह करप्ट हो गया है। सरकार और विपक्ष – दोनों जनता को घूस दे रहे हैं। किसी ने दस दिया तो दूसरे तीस देने की बात कर रहे हैं। चुनाव में वादे होते थे, लेकिन अब वादे ने घूस का रूप धारण कर लिया है। चुनाव में कोई नेता कहता है कि पैसे तुम किसी से ले लो, मगर वोट मुझे दे दो। यह कैसी दलील है! एक तो पैसे लेना जुर्म है और पैसे लेकर वोट न देना एक दूसरे किस्म का नैतिक अपराध है। यहां तो लोग कहते थे – रघुकुल रीत सदा चली आई, जान जाई पर वचन न जाई।
यह ऐसा युग है, जिसमें वचन का कोई मतलब नहीं है। जो लोग वचनबद्ध हैं, वे पिछड़े हुए हैं। मध्यकाल में जीते हैं। आधुनिक काल वचनहीनता का है। पहले दूकान में कपड़े खरीदने जाता था तो दूकानदार कहता था कि कपड़े के रंग की गारंटी है। अब दूकानदार सरेआम कहता है और दूकान के बोर्ड पर लिखा रहता है कि रंग की कोई गारंटी नहीं है। शायद दूकानदारों ने प्रधानमंत्री से सीख लिया है।
पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री कहते थे – यह मोदी की गारंटी है। उन्होंने जिसकी गारंटी दी, वह बर्बाद हो गया। उन्होंने रोजगार की गारंटी दी, रोजगार गायब हो गया। युवाओं को एक साल में दो करोड़ क्या दो लाख भी रोजगार उपलब्ध नहीं हुए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में रुपयों के मूल्य न गिरने की गारंटी दी, रुपए के मूल्य धड़ाधड़ गिरते चले गए। उन्होंने महंगाई घटाने और किसानों की आय दुगुनी करने की गारंटी ली। हालत क्या है, आप जानते हैं।
उन्होंने जो गारंटी नहीं दी थी, उसको उन्होंने पूरा किया। रेल, भेल, सेल – सब बेच दिया या बेचने के रास्ते में हैं। संसद की सीढ़ियों पर चढ़ते वक्त साष्टांग प्रणाम किया था। वह संसद भवन खंडहर बनने वाला है और जो नये संसद भवन हैं, वहां कितनी बहसें और कितने तमाशे होते हैं, यह देश से छिपा नहीं है। इस बार संविधान की बारी है । उन्होंने संविधान को सिर से लगा लिया है। दूकानदार समझ गया था कि जब विष्णु के अवतार की कोई गारंटी नहीं है तो दूकान के कपड़े के रंगों की क्या गारंटी?
अब तो भाई ऐसा युग है कि झूठ बोले तो जग पतियाय, सच बोले तो मारल जाय। जिसे बहुत दिनों तक जीने की इच्छा है, वे झूठ बोलें। जिसे प्राणों से बहुत मोह नहीं है, वे मुक्तिबोध का रास्ता अपना कर प्रण करें – “अब अभिव्यक्ति के सारे ख़तरे उठाने ही होंगे। तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब।”

प्रोफेसर, पूर्व विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग
पूर्व डीएसडब्ल्यू,ति मां भागलपुर विश्वविद्यालय,भागलपुर






