बालश्रम की राजनीतिक आर्थिकी और बिहार

निजी मुनाफे पर आधारित पूँजीवाद और राजनीतिक सत्ता का अपवित्र गठबंधन बाल श्रम को कायम रखता है। जब तक पूँजीवादी शक्तियों के मुक़ाबले सामाजिक शक्तियाँ अपनी अधिक मजबूती नहीं दिखाती है, तब तक तमाम क़ानूनों के बावजूद बालश्रम का धब्बा कायम रहेगा।

सहायक स्रोत :

  1. Bihar State action plan 2017 for Elimination of Child Labour
  2. Child Labour is encouraged when parents are unemployed, The Indian Express, Chandigarh, 14 March, 2015
  3. Child Labour in India – An Overview, M. C. Naidu & K. Dashrath Ramaiah, Journal of Social Sciences (9 October, 2017)
  4. Child Labour in India, Wikipedia
  5. “Beyond Child Labour – Affirming Rights”, UNICEF, 2001
  6. Bihar short of 280,000 Teachers, indiaspend.com
  7. असंगठित क्षेत्र के कार्यरत बाल श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन, सुनीता एवं डॉ. बी एल सोलेकर, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, anvpublication.org/journals
  8. दैनिक भास्कर, 11 अक्तूबर, 2014
  9. दैनिक भास्कर, 24 मई, 2021
Dr. Anil Kumar Roy
Dr. Anil Kumar Roy

कार्यकर्ता और लेखक
डॉ. अनिल कुमार रॉय सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए अथक संघर्षरत हैं। उनके लेखन में हाशिए पर पड़े लोगों के संघर्ष और एक न्यायसंगत समाज की आकांक्षा की गहरी प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।

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