Category समाज

बरगद कभी नहीं मरता

पुराने लोग कहते हैं कि उन्होंने पुरखों से सुना है कि पहले भी बरगद एक बार इसी तरह झुक गया था, मानो कमर टूट गयी हो। उस समय भी इसी तरह बाढ़ और तूफ़ान ने एक ही साथ क़हर मचाया था। गाँव के लोग बरगद के झुक जाने से उदास हो गये थे और उन्हें लगा था कि बरगद अब कभी नहीं उठेगा। लेकिन लोगों की उदासी को प्रसन्नता में बदलते हुए यह फिर से खड़ा हो गया था। यह बरगद है। कभी मर नहीं सकता। सदा झुका हुआ भी नहीं रह सकता। इसीलिए इसकी अमर जिजीविषा इसे फिर से खड़ा कर देगी।

जारी है स्त्री विमर्श की यात्रा

परिवार, शिक्षा प्रणाली, राज्य-कानून, धर्म, कलाएँ, मिडिया आदि ये सारी सामाजिक संस्थाएँ हमारे समाज में औरत बनाने का काम करती हैं- मादा को स्त्री बनाती हैं। सर्वजनीन है कि स्त्री पैदा नहीं होती, बनायी जाती है, मार-मार के बनाया जाता है उसको स्त्री। यही स्त्री की स्थिति तय करती है और नारी विमर्श में इसे अनदेखा कर दिया जाता है।

भारतीय किसान विद्रोह और ग्वाटेमाला की भूख

People with Flags at City Demonstration
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान केवल इसलिए नहीं आंदोलनरत हैं कि उनकी अस्मिता ख़तरे में है। अस्मिता तो ख़तरे में है ही। बल्कि वे इसलिए भी लड़ रहे हैं ताकि इस देश को भूख और तबाही से बचाया जा सके। इस तरह यह लड़ाई पूरे देश के लिए लड़ी जाने वाली लड़ाई है।

चेतना-निर्माण की राजनीतिक आर्थिकी

मानव-सभ्यता का यह स्वभाव रहा है कि वह आगे की ओर गति करती रही है। लाखों वर्षों के जद्दोजहद के बाद लगभग 500 साल पहले मानव-जाति जब वैज्ञानिक क्रांति के नए युग में प्रविष्ट हुई तो चेतना के स्तर पर उसके अंधविश्वास, जड़ मान्यताएँ और बद्ध धारणाएँ धीरे-धीरे तिरोहित होती गईं। ऐसा लगने लगा कि मानव-चेतना की बंद पलकें धीरे-धीरे खुल रही हैं और दैवी, रहस्यमयी और अबूझ परतें उघररही हैं।अब देहात के मिडिल स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा भी, खेतों में काम करने वाला अनपढ़ किसान भी जान गया कि वर्षा इंद्र की कृपा से नहीं, बल्कि वाष्पीकरण और वायु-दबाव की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से होती है; वह जान गया कि चंद्रमा कोई देवता नहीं है, बल्कि सौरमंडल का एक उपग्रह है। वह यह भी जान गया कि चेचक शीतला देवी के प्रकोप का परिणाम नहीं है, बल्कि एक वायरल इंफ़ेक्शन है। अब वह प्राकृतिक क्रियाओं और वस्तुओं को अंधविश्वास और आस्था की दृष्टि से नहीं, बल्कि वस्तुपरक वैज्ञानिक दृष्टि से देखने लगा।