Category जन पत्रकारिता

आम बजट 2018 : किसके लिए?

gray pen beside coins on Indian rupee banknotes
निश्चय ही यह बजट उन एक प्रतिशत लोगों के लिए है, जिनके हिस्से में 73 प्रतिशत विकास जाता है. बाकी 99 प्रतिशत लोगों के लिए भी ढूँढने पर कुछ मिल ही जाएगा. ऐसा ही है हमारा आम बजट, 2018. यह ऐसा बजट है, जिसकी चिंता के केंद्र में आम आदमी नहीं है, कॉर्पोरेट और कंपनियां हैं. पूंजीपति वर्ग अपने मुनाफे की चिंता कर रहा है, इसलिए सरकार भी उनकी चिंता कर रही है. शायद आम लोगों के लिए अभी चिंता किये जाने की जरूरत भी नहीं है. आम लोग अभी हिन्दु-मुसल्माअन, मंदिर-मस्जिद, तीन तलाक, पाकिस्तान, चीन, तिरंगा, राष्ट्रवाद आदि की चिंता में लगे हैं. .......... जब वे भी अपनी चिंता करने लगेंगे तो सरकार को भी उनकी चिंता होगी. धन्यवाद!

सोवियत क्रांति के सौ वर्ष

man holding a book statue

साल 2017 सोवियत क्रांति का सौवाँ वर्ष है। पूरे विश्व की कम्युनिस्ट पार्टियाँ और उसी तरह भारत की भी कम्युनिस्ट पार्टियाँ ‘महान सोवियत क्रांति’ का शताब्दी वर्ष मना रही हैं। 8 नवंबर, 1917 को बोल्शेविकों के द्वारा सत्ता पर कब्जे…

सामाजिक न्याय के अस्पताल में शिक्षा की शव-परीक्षा

shallow focus photo of girl holding newspaper

‘सामाजिक न्याय’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ आदि आजकल बास्केट बॉल खेल की गेंद की तरह हर राजनीतिज्ञ के हाथ में उछलता हुआ जुमला है और हर दल इस गेंद को अपने पाले में करने की कोशिश में लगातार लगा हुआ…

उच्च शिक्षा के ताबूत में एक और कील

Photograph of Girls Wearing Uniform
मुश्किल है हम उस दौर में जी रहे हैं, जिसके सामने से शिक्षा की शवयात्रा निकल रही है, लेकिन हमारी आँखें इसलिए नम नहीं हो रही हैं, क्योंकि हमें समझाया गया है कि शिक्षा कब्र में नहीं, स्वर्ग में जा रही है.

दंगों की राजनीतिक आर्थिकी

grayscale photo of man near smoke

इस साल रामनवमी के अवसर पर बिहार के कई जिलों में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने की कोशिश हुई। इन तनावों को दंगा नहीं कहा जा सकता है। सांप्रदायिक दंगे का अर्थ होता है – संप्रदाय के आधार पर दोनों पक्षों…