Category जन पत्रकारिता

प्रौद्योगिकी के प्रभाव में ज्ञान-सृजन को अमानवीय नहीं बनाना चाहिए

person sitting on stack of books while reading
मानवीय संपर्क, जिसके तहत विद्यार्थी कक्षा में दिलचस्प प्रश्न पूछ सकते थे, शिक्षकों को चुनौती दे सकते थे, आत्मनिरीक्षण कर सकते थे या अपनी बहस को कक्षा से बाहर निकालकर गलियारों और कैंटीन तक ले जा सकते थे, धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है, क्योंकि शैक्षणिक परियोजना व्यक्तिगत और अलगावकारी होती जा रही है।

तीन नये आपराधिक दंड क़ानून और नागरिक स्वतंत्रता

तीन नये आपराधिक दंड क़ानूनों पर यह 'लोक स्वातंत्र्य संगठन' (पीयूसीएल) का दृष्टि-पत्र है, जो दिनांक 01 सितंबर, 2024 को 'भारतीय संसद द्वारा पारित तीन नये आपराधिक दंड क़ानून और नागरिक स्वतंत्रता पर बढ़ते ख़तरे' विषय पर आयोजित परिचर्चा में प्रस्तुत किया गया था।

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए अपनी राजनीतिक चेतना में परिवर्तन लायें

rock, nature, surf
जाति, वर्ग, जातीयता और लिंग की जटिलताओं पर विचार करने की आवश्यकता है। यह न्याय का प्रश्न है और साथ ही असमानता का भी, जो अन्याय को जन्म देती है।

लोकतंत्र और अभिव्यक्ति का अधिकार : प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2024 का संदर्भ

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प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2024 के द्वारा अभिव्यक्ति के अधिकार पर शिकंजा

कहीं लोकतंत्र हाईजैक तो नहीं हो गया?

चुनावी प्रक्रिया लोकतंत्र में नागरिक भागीदारी को सुनिश्चित करती है। परंतु चुनावी प्रक्रिया में यदि अपारदर्शिता हो, संदेह की उँगलियाँ उठ रही हों तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है।

सामाजिक न्याय के अस्पताल में शिक्षा की शव-परीक्षा

‘सामाजिक न्याय’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ आदि आजकल बास्केट बॉल खेल की गेंद की तरह हर राजनीतिज्ञ के हाथ में उछलता हुआ जुमला है और हर दल इस गेंद को अपने पाले में करने की कोशिश में लगातार लगा हुआ है. यह जुमला/नारा/वादा इतना लोक-लुभावन और प्रभावी है कि जो कोई भी इस नारे का अपने पक्ष में जितना ज्यादा उपयोग कर लेता है, वह सत्ता पर उतनी मजबूती के साथ कायम हो जाता है. अर्थात अवाम को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दलों के पास यह परीक्षित और कामयाब हथियार है.