बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को बैठाकर निर्देश दिया है कि बिहार को भ्रष्टाचार से मुक्त करें। गृहमंत्री सम्राट चौधरी लोगों को चेता रहे हैं कि अब अपराधियों की खैर नहीं। बीस वर्षों से जदयू – बीजेपी का शासन है। अब तक न तो बिहार भ्रष्टाचार मुक्त हुआ है, न अपराधी मुक्त। पता नहीं और कितना वक्त लगे? शायद जन्म जन्मांतर तक।
आज राजनीति की जो दशा है, उसमें कोई भी समाज न भ्रष्टाचार मुक्त हो सकता है, न अपराधी मुक्त। आज की राजनीति ही भ्रष्टाचार और अपराध की जननी है। उसमें रचे-बसे लोग अगर दावा करें कि वे समाज को भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्त कर देंगे, तो हंसने के सिवा आप कुछ नहीं कर सकते। बीस वर्ष मुख्यमंत्री बने रहने के बाद नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बिहार को भ्रष्टाचार से मुक्त करो तो अभी तक वे क्या कर रहे थे?
दिल्ली के पांचवें दशरथ – पुत्र ने तो कहा है कि भारत को विकसित करने के लिए 2047 तक इंतजार करना पड़ेगा। तब तक उनका डेरा – डंडा उठ चुका होगा, तब फिर कोई छठा पुत्र आयेगा जो भारत को 2075 तक विकास करेगा। झूठ और ढकोसले इस युग की खासियत है। कभी विष्णु अवतार, कभी नान बायोलॉजिकल, कभी कुछ। एक प्रवक्ता है, टेलिविजन पर मुंह उठाए आते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे कृष्ण के जन्म के समय झमाझम बारिश हो रही थी, वैसी ही बारिश आधुनिक विष्णु के जन्म के समय हुई थी। इसलिए बेहतर होगा कि राम मंदिर के ध्वजारोहण के समय उनका भी भव्य मंदिर बना दिया जाय। गजब-गजब नमूनों का जन्म इस देश में हो गया है। असत्य तो उसके मुंह से ऐसे निकलता है, जैसे खपड़ी में चना फूटता है। पहले भी जो राजा गद्दी पर बैठता था, वह अपने को ईश्वर का अवतार ही मानता था।
खैर, मैं तो बिहार के बारे में बात कर रहा था। जब तक चुनाव में भ्रष्टाचार है, वोटरों की खरीद फरोख्त है, सरकारी स्तर पर फिजूलखर्ची है, अफसरों की लूट-खसोट है – तब तक भ्रष्टाचार पर लगाम संभव नहीं दिखता। भ्रष्टाचार की गंगोत्री दिल्ली-पटना में है। गांव-घरों को तो अपनी भ्रष्टाचार-सिद्धि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हमाम में नंगे लोग अगर सबको कपड़े पहनने का आह्वान करे तो उसकी बात कोई क्यों मानेगा? जिसके हाथ अनंत सिंह जैसे अपराधी को टिकट देने से नहीं कांपे और हत्यारोपी विधायक बनाता रहे, उसके राज में अपराध खत्म कैसे होगा? गिद्ध को मांस की पोटली थमा दी जाय और आप यह खुशफहमी पाल लें कि मांस सुरक्षित रहेगा, तब ऐसी खुशफहमी के बारे में क्या कहा जाए?
चुनाव के पहले हमारे कुछ साथी भ्रम पाले हुए थे कि इस चुनाव से देश में नवजागरण आ जायेगा। बिहार क्रांतिकारियों की धरती है और उसकी धरती में बहुत बल और ऊर्जा है, वहां से लोकतंत्र के नये गीत लिखे जायेंगे। यह भ्रम, उम्मीद है, टूट चुका होगा। अगर चुनाव में लूटपाट हुई तो कम से कम एक दिन तो बिहार बंद रहना चाहिए था। मगर राजनीति के धुरंधर फिर चुनाव की प्रतीक्षा में लग गए। लोकतंत्र पर आये संकट को चिह्नित कर जब तक समाधान और संघर्ष का रास्ता नहीं अपनाया जायेगा, तब तक कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आती। देश में क्रोनी कैप्टलिज्म सिर पर चढ़ कर बोल रहा है। इसकी मुकम्मल समझ की जरूरत है। वरना बीमारी जड़ में है, लेकिन इलाज पत्ते और डालियों का करते रहेंगे। सत्ता में कायम रहने के लिए नये नये नैरेटिव गढ़े जायेंगे और देश उसके शिकार होता रहेगा।

प्रोफेसर, पूर्व विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग
पूर्व डीएसडब्ल्यू,ति मां भागलपुर विश्वविद्यालय,भागलपुर





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